Apple के वर्चुअल असिस्टेंट Siri को लेकर एक नए विवाद ने टेक जगत में हलचल मचा दी है। एक हालिया मुकदमे में दावा किया गया है कि Apple ने Siri के भविष्य के AI फीचर्स को लेकर भ्रामक दावे किए हैं, जिससे यूजर्स और निवेशकों को गुमराह किया गया। इस मामले ने Apple Intelligence और कंपनी के AI इनोवेशन को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
क्या है पूरा मामला?
Apple के खिलाफ दायर इस मुकदमे में आरोप लगाया गया है कि कंपनी ने Siri को लेकर कुछ ऐसे AI-संबंधित वादे किए, जो हकीकत से परे थे। दावा किया गया कि Siri की नई AI क्षमताएं और उन्नत फीचर्स वास्तविकता में मौजूद नहीं थे या फिर उनमें उन दावों के अनुरूप क्षमताएं नहीं थीं, जिनका प्रचार किया गया था।
मुकदमे में आरोप लगाया गया है कि Apple ने “AI Hallucination” यानी कृत्रिम रूप से गढ़ी गई क्षमताओं को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया, जिससे उपभोक्ताओं और निवेशकों को भ्रमित किया गया।
AI Hallucination क्या होती है?
AI hallucination एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित सिस्टम ऐसे डेटा या जानकारी उत्पन्न करते हैं, जो असल में मौजूद नहीं होती। सरल शब्दों में कहें तो, AI कभी-कभी गलत या मनगढ़ंत जानकारी भी प्रस्तुत कर सकता है, जिससे गलतफहमी पैदा होती है।
AI आधारित मॉडल जैसे कि Siri, ChatGPT और Google Gemini कभी-कभी ऐसी बातें भी कह सकते हैं, जो उनके डेटाबेस में कहीं नहीं होतीं, लेकिन वे उसे आत्मविश्वास के साथ पेश कर देते हैं। Apple पर लगे आरोप इसी से जुड़े हैं, जिसमें दावा किया गया है कि Siri की कुछ क्षमताएं असल में मौजूद ही नहीं थीं।

Apple का पक्ष: क्या कहना है कंपनी का?
Apple ने अभी तक इस मुकदमे पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन टेक विशेषज्ञों का मानना है कि कंपनी जल्द ही इस मामले में सफाई देगी।
Apple लंबे समय से AI टेक्नोलॉजी पर काम कर रहा है और हाल ही में iOS 18 अपडेट के साथ AI-सक्षम फीचर्स को और अधिक उन्नत बनाने की योजना बना रहा है। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि कंपनी इस कानूनी चुनौती का कैसे सामना करती है।
AI-इनेबल्ड Siri: Apple ने क्या वादे किए थे?
Apple ने Siri के लिए AI क्षमताओं को और अधिक पावरफुल बनाने का दावा किया था। कंपनी ने कहा था कि नए फीचर्स में –
- बेहतर प्राकृतिक भाषा समझने की क्षमता
- AI-जनित टेक्स्ट और रिप्लाई फीचर
- व्यक्तिगत अनुभव को कस्टमाइज़ करने की क्षमता
- बेहतर वॉयस रिकग्निशन और कंट्रोल
शामिल होंगे। लेकिन इस मुकदमे के बाद यह सवाल उठने लगा है कि क्या ये दावे वास्तव में सच हैं या फिर Siri के AI फीचर्स को लेकर Apple ने ज्यादा बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया था?
Siri बनाम Google Assistant और ChatGPT
Apple का Siri लंबे समय से स्मार्ट असिस्टेंट की दुनिया में मौजूद है, लेकिन Google Assistant और ChatGPT जैसी AI तकनीकों की बढ़ती लोकप्रियता के कारण यह पीछे छूटता दिख रहा है।
जहां Google अपने Gemini AI को Google Assistant के साथ मर्ज कर रहा है, वहीं OpenAI के ChatGPT ने पहले से ही अधिक सटीक और उन्नत AI-संचालित वार्तालाप क्षमताएं प्रदान की हैं।
Apple द्वारा किए गए दावों के विपरीत, कुछ यूजर्स का मानना है कि Siri अभी भी कई मामलों में पिछड़ा हुआ है और अन्य AI असिस्टेंट के मुकाबले इसकी परफॉर्मेंस उतनी प्रभावशाली नहीं है।
Siri के भविष्य पर क्या असर पड़ेगा?
अगर यह मुकदमा Apple के खिलाफ जाता है, तो इससे कंपनी की प्रतिष्ठा पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। इससे Apple को –
- AI टेक्नोलॉजी में अधिक पारदर्शिता लाने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है।
- AI-आधारित वादों में अधिक सटीकता सुनिश्चित करनी होगी।
- प्रतिस्पर्धियों के मुकाबले बेहतर AI फीचर्स देने पर अधिक ध्यान देना होगा।
इसके अलावा, अगर Apple को किसी भी तरह का आर्थिक हर्जाना भरना पड़ा, तो इसका असर कंपनी के AI प्रोजेक्ट्स पर भी पड़ सकता है।
निष्कर्ष
Siri को लेकर Apple पर लगे “AI Hallucination” के आरोप निश्चित रूप से चिंता का विषय हैं। यह मामला न केवल Apple के लिए बल्कि पूरे AI इंडस्ट्री के लिए एक महत्वपूर्ण चेतावनी है कि AI-आधारित दावों में अधिक पारदर्शिता और सटीकता होनी चाहिए।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि Apple इस कानूनी चुनौती से कैसे निपटता है और क्या Siri वाकई उतना स्मार्ट बनेगा, जितने बड़े वादे कंपनी ने किए था
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